जानिए गोखरू के फायदे पुरुषों के लिए!

Gokhru

गोखरू का नाम सुनते ही कई लोगों के मन में इसके विषय में जिज्ञासा जाग उठती है। यह एक ऐसी औषधि है, जिसका प्रयोग प्राचीन काल से पुरुषों में कामेच्छा बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। लेकिन क्या वास्तव में गोखरू इस क्षेत्र में चमत्कारिक रूप से कारगर है? और यदि हाँ, तो कैसे?

हमारे आसपास ऐसी अनेक जड़ी-बूटियां हैं जिनके चमत्कारी गुण हमें अभी तक नहीं पता। गोखरू भी उन्हीं में से एक है। यह छोटी सी दिखने वाली जड़ी-बूटी, पुरुषों की जीवनशैली और स्वास्थ्य पर असाधारण रूप से प्रभाव डाल सकती है।

यदि आप पुरुषों में यौन स्वास्थ्य को प्राकृतिक रूप से बेहतर बनाने की तलाश में हैं, तो गोखरू आपके लिए एक श्रेष्ठ चयन हो सकता है। इस प्राचीन आयुर्वेदिक हर्ब को पुरुषों के लिए कामेच्छा बढ़ाने के साथ-साथ प्राकृतिक यौन स्वास्थ्य वर्धक होने के नाते उच्च माना जाता है। आइए, गोखरू के फायदे के बारे में जानें!

मुख्य आकर्षण

  • गोखरू का उपयोग पुरुषों में कामेच्छा बढ़ाने और सामान्य स्वास्थ्य सुधारने के लिए।
  • गोखरू की विशिष्ट प्रजातियाँ और उनके विभिन्न स्वास्थ्य लाभ।
  • गोखरू के सेवन की सही मात्रा और उपयोग के तरीके।
  • गोखरू और अन्य जड़ी-बूटियों के संयोजन से होने वाले लाभ।
  • गोखरू के संभावित नुकसान और सावधानियों पर विचार।

गोखरू का परिचय: प्राकृतिक यौन स्वास्थ्य वर्द्धक

आयुर्वेद में गोखरू का परिचय एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में होता है, जिसका संबंध प्राचीन काल से पुरुषों के स्वास्थ्य सुधार से है। इसके कई प्रकार के गोखरू के फायदे पुरुषों के लिए होते हैं, जैसे कि यौन क्षमता बढ़ाना, शुक्राणुओं की मात्रा में वृद्धि और यौन उर्जा में सुधार। गोखरू का उपयोग भी काफी सरल होता है और इसे विभिन्न रूपों में लिया जा सकता है।

यह पौधा \’गोक्षुरा\’ के नाम से भी जाना जाता है, जोकि संस्कृत भाषा से आया है और इसका अर्थ होता है \’गाय का खुर\’। चरागाहों में उगने वाला यह पौधा अपने कांटेदार फलों के लिए प्रसिध्द है जोकि गाय के खुर जैसे दिखते हैं।

गोखरू की जड़ें और फल दोनों को उनकी चिकित्सीय गुणों के लिए सराहा गया है। गोखरू के नियमित सेवन से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्थिरता में भी सुधार माना गया है।

स्वास्थ्य और यौन शक्ति के नैसर्गिक रक्षक के रूप में, गोखरू का महत्त्व अपारिग्रहित है।

एनआईएच के अध्ययन के अनुसार का उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए भारतीय और चीनी दोनों चिकित्सा प्रणालियों में लंबे समय से किया जाता रहा है। इसके विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार के रासायनिक घटक होते हैं जो औषधीय रूप से महत्वपूर्ण हैं, जैसे फ्लेवोनोइड्स, फ्लेवोनोल ग्लाइकोसाइड्स, स्टेरायडल सैपोनिन और एल्कलॉइड्स। इसमें मूत्रवर्धक, कामोत्तेजक, एंटीयूरोलिथिक, इम्युनोमोडायलेटरी, एंटीडायबिटिक, अवशोषण बढ़ाने वाला, हाइपोलिपिडेमिक, कार्डियोटोनिक, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, हेपेटोप्रोटेक्टिव, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एनाल्जेसिक, एंटीस्पास्मोडिक, एंटीकैंसर, जीवाणुरोधी, कृमिनाशक, लार्विसाइडल और एंटीकैरियोजेनिक गतिविधियां हैं। 

मुख्यरूप से इसके दो प्रकार भारत और अन्य उपोष्ण कटिबंधों में प्रचलित होते हैं, और इनके उपयोग विशेषता क्षेत्र के अनुसार भिन्न होते हैं।

  1. गोखरू (भारतीय प्रजाति): सूखे और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में विशेषरूप से पाया जाता है, जिसका उपयोग पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है।
  2. गोखरू (चीनी प्रजाति): यह पूर्वी एशियाई देशों में अधिक प्रचलित है और पारंपरिक चीनी दवाइयों में इसका बहुतायत से उपयोग होता है।

भारत में, गोखरू के अनेक स्थानिक नाम हैं इसे छोटा गोखरू या गुड़खुल (हिंदी) और गोक्षुर (संस्कृत) भी कहते हैं।और यह अनेक आयुर्वेदिक उपचारों में मुख्य घटक के रूप में सम्मिलित होता है। चिकित्सकीय महत्व के साथ-साथ, यह पौधा अपनी विशिष्ट प्रजातियों के कारण वनस्पति विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान के लिए भी महत्व रखता है।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि गोखरू (ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस) की प्रत्येक विशिष्ट जलवायु और भूमि की संरचना के अनुसार औषधीय गुणधर्म में परिवर्तन आते हैं।

भौगोलिक महत्व की बात करें तो, इसका उपयोग कई देशों में प्राकृतिक रुप से यौन समस्याओं के उपचार के लिए होता है। गोखरू के प्रकार और उसकी खेती की जलवायु और स्थलाकृति इसके गुणों को निर्धारित करने में सहायक होती है।

यह जानना महत्वपूर्ण है कि आपकी जीवनशैली और स्वास्थ्य लक्ष्यों के अनुसार कौन सा गोखरू आपके लिए सबसे बेहतर हो सकता है। नीचे दी गई तालिका में भारतीय और चीनी गोखरू के औषधीय गुणों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है:

भारतीय गोखरूचीनी गोखरू
मूत्रवर्धक और कामोत्तेजकऊर्जा में वृद्धि और प्रतिरक्षा बढ़ाने वाला
शुक्राणु गुणवत्ता सुधारने में प्रभावीहाजमे की समस्याओं का निवारण
इरेक्टाइल डिसफंक्शन में उपयोगीआंतरिक विषाक्त पदार्थों को साफ करने में सहायता

गोखरू के यौन स्वास्थ्य लाभ

आयुर्वेद में गोखरू को एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधी माना गया है, जिसकी क्षमता पुरुषों के यौन स्वास्थ्य को विशेष बढ़ावा देने की है। जानिए कैसे यह जड़ी-बूटी आपके सेक्सुअल वेलनेस को उन्नत कर सकती है:

  • टेस्टोस्टेरोन स्तर में वृद्धि: गोखरू पुरुष हार्मोन के स्तर को संतुलित कर सकता है, जिससे यौन इच्छा और स्टैमिना दोनों में सुधार होता है।
  • इरेक्शन समस्या में लाभ: इरेक्शन डिसफंक्शन एक आम समस्या है, जिसके लिए गोखरू का उपयोग एक प्राकृतिक समाधान के रूप में किया जा सकता है।
  • शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार: उच्च गुणवत्ता वाले शुक्राणु स्वस्थ प्रजनन प्रक्रिया के लिए अत्यावश्यक हैं, और गोखरू इसे बढ़ावा देता है।
  • यौन स्वास्थ्य वर्द्धन: यह शरीर में ऊर्जा को नवीनीकृत करता है और यौन संतुष्टि के स्तर को बेहतर बना सकता है।

अगर आप भी गोखरू के यौन स्वास्थ्य लाभों को पाना चाहते हैं, तो इसके सेवन पर विचार करें और साथ ही एक योग्य आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर से सलाह लेना न भूलें।

गोखरू की खुराक: सही मात्रा और तरीका

गोखरू की सही मात्रा और सेवन की विधि की जानकारी होना किसी भी उपभोक्ता के लिए अत्यंत आवश्यक है। अधिकतर आयुर्वेदिक चिकित्सकों की सलाह अनुसार, गोखरू का सेवन संयमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।

गोखरू को कैसे और कितनी मात्रा में लेना चाहिए?

गोखरू का सेवन प्रतिदिन आयु एवं स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए। यहां पर एक स्वादूर्ण गाइड दिया गया है:

  • गोखरू के चूर्ण की आमतौर पर निर्धारित मात्रा एक दिन में 2 से 5 ग्राम होती है।
  • यदि आप गोखरू की कैप्सूल का सेवन कर रहे हैं, तो दिन में 1 से 2 कैप्सूल पर्याप्त होते हैं।
  • गोखरू की पत्तियों की चाय या काढ़ा बनाकर पी सकते हैं, जिसका 1 से 2 कप सेवन उचित माना जाता है।

हमेशा सलाह लें कि आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियों के लिगोखरू की आदर्श मात्रा क्या होगी।

गोखरू खाने का उपयुक्त समय

गोखरू सेवन के लिए उपयुक्त समय आमतौर पर भोजन के समय के आसपास होता है। इसे भोजन के बाद पीना सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह आपके पाचन क्रिया को सुधारने में भी सहायक हो सकता है।

गोखरू का फॉर्मखुराकसेवन का उपयुक्त समय
चूर्ण2 से 5 ग्रामभोजन के बाद
कैप्सूल1 से 2 कैप्सूलभोजन के बाद
चाय/काढ़ा1 से 2 कपसुबह या शाम

जब आप गोखरू खाने का तरीका समझ जाते हैं, तब आप सही तरीके से इसका लाभ उठा सकते हैं। गोखरू के सेवन की विधि में इसके अनुशंसित सेवन का समय एवं आपके आहार के प्रोटोकॉल को शामिल कर सही प्रयोग सुनिश्चित करते हैं।

गोखरू और अन्य जड़ी-बूटियां: संयोजन के फायदे

आयुर्वेदिक चिकित्सा की दुनिया में, गोखरू और कौंच के बीज के फायदे और अश्वगंधा और गोखरू के फायदे काफी प्रसिद्ध हैं, ख़ासकर जब यह यौन स्वास्थ्य में जड़ी-बूटियों का मिश्रण के रूप में उपयोग किए जाते हैं। ये प्राचीन हर्बल उपचार न केवल स्वास्थ्य वर्धक होते हैं, बल्कि उनके संयोजित प्रयोग से पुरुषों की यौन क्षमता में सुधार होता है। आइए इन जड़ी-बूटियों के मिलन से होने वाले विशिष्ट लाभों पर प्रकाश डालें।

  • सेक्सुअल स्टैमिना में वृद्धि: गोखरू और कौंच के बीज का सम्मिश्रण, सेक्सुअल स्टैमिना बढ़ाने के लिए जाना जाता है। यह संयोजन यौन दुर्बलता को कम करता है और संभोग की अवधि को बढ़ाता है।
  • प्रजनन क्षमता में सुधार: अश्वगंधा और गोखरू दोनों ही शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में सुधार लाते हैं, जिससे प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है।
  • हार्मोन संतुलन में सहायता: यह मिश्रण शरीर में हार्मोन बैलेंस में सहायक होता है, जिससे विभिन्न प्रकार की यौन समस्याओं का निवारण होता है।

निम्न तालिका में हम गोखरू, कौंच के बीज, और अश्वगंधा के संयोजित प्रयोग से होने वाले परिणामों का अवलोकन करेंगे:

जड़ी-बूटीयौन स्वास्थ्य लाभप्रयोग की विधि
गोखरूसेक्सुअल स्टैमिना बढ़ाना, शुक्राणु गुणवत्ता में सुधारचाय या काढ़े के रूप में सेवन
कौंच के बीजइरेक्शन में सुधार, सेक्सुअल वेलनेस बेहतर करनापाउडर या कैप्सूल के रूप में सेवन
अश्वगंधातनाव में कमी, सेक्सुअल हार्मोन का संतुलनटैबलेट, पाउडर, या तेल के रूप में सेवन

अब जब आप इन हर्बल विकल्पों के फायदे जान चुके हैं, तो अपने चिकित्सक से सलाह लेकर सही मात्रा में इनका सेवन करना सुरक्षित और उपयोगी होगा। संयम और समझदारी से इन जड़ी-बूटियों का प्रयोग कर आप अपने यौन स्वास्थ्य को नए आयाम दे सकते हैं।

टेस्टोस्टेरोन स्तर में सुधार: गोखरू की भूमिका

आधुनिक शोध से पता चलता है कि गोखरू एक प्रभावी प्राकृतिक सप्लीमेंट है जो पुरुषों के हार्मोनल संतुलन में सहायक होता है। इसके अद्वितीय गुण न केवल आपके टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ावा देते हैं बल्कि समग्र भलाई और एथलेटिक प्रदर्शन में भी सुधार करते हैं।

गोखरू और पुरुष हार्मोन उत्पादन

गोखरू में मौजूद सपोनिन्स और फ्लेवोनोइड्स जैसे यौगिक टेस्टोस्टेरोन के बायोसिंथेसिस पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे पुरुष सेक्स हार्मोन वृद्धि में मदद मिलती है। यह प्राकृतिक हार्मोन वर्धक, एक सुरक्षित और स्वस्थ विकल्प के रूप में उभरा है।

टेस्टोस्टेरोन और मस्कुलर स्ट्रेंथ

टेस्टोस्टेरोन का स्तर न केवल यौन स्वास्थ्य, बल्कि मांसपेशीय शक्ति में सुधा से भी सीधे तौर पर संबंधित होता है। गोखरू का नियमित सेवन मांसपेशियों के निर्माण और वसूली में सहायक सिद्ध हुआ है, जिससे आप अधिक व्यायाम करने और बेहतर बॉडी बिल्डिंग करने में सक्षम होते हैं।

गोखरू और प्रजनन क्षमता: शुक्राणु गुणवत्ता में सुधार

male fertility

यदि आप प्रजनन क्षमता में सुधार और शुक्राणु गुणवत्ता को बेहतर बनाने की तलाश में हैं, तो गोखरू का सेवन आपके लिए उपयुक्त साबित हो सकता है। गोखरू, जो कि एक प्राकृतिक हर्ब है, उसका उपयोग बांझपन का उपचार करने के लिए परंपरागत तौर पर किया जाता रहा है।

यहाँ पर कुछ बातें दी गयी हैं जो बताती हैं कि कैसे गोखरू आपकी प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकता है:

  • शुक्राणु संख्या में वृद्धि: गोखरू सेवन करने से शुक्राणुओं की संख्या में सुधार होता है, जो कि प्रजनन क्षमता को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
  • शुक्राणु गुणवत्ता में सुधार: शुक्राणुओं की गतिशीलता और मॉर्फोलॉजी, जो कि गर्भाधान की संभावना को बढ़ाती हैं, में सुधार होता है।
  • यौन संबंधी क्रियाओं में सुधार: गोखरू न सिर्फ शुक्राणु उत्पादन में सहायता करता है बल्कि यौन क्रियाओं को भी उत्साहित करता है, जिससे प्रजनन संबंधी बाधाओं को दूर किया जाता है।

गोखरू का सेवन जब उचित मात्रा में और सही तरीके से किया जाता है, तो यह आपके संपूर्ण प्रजनन स्वास्थ्य को सुधार सकता है। हालाँकि, इसके सेवन से पहले स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह जरुर लें।

गोखरू का इरेक्टाइल डिसफंक्शन पर प्रभाव

इरेक्टाइल डिसफंक्शन, जिसे नपुंसकता भी कहते हैं, पुरुषों की एक सामान्य समस्या है जो उनकी सेक्सुअल परफॉर्मेंस को प्रभावित करती है। आपको जान कर खुशी होगी कि गोखरू इसे बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। आइए देखते हैं कि कैसे गोखरू इस स्थिति में राहत प्रदान कर सकता है।

इरेक्शन की समस्याओं में गोखरू का महत्व

गोखरू में पाए जाने वाले प्राकृतिक यौगिक रक्त संचार को बेहतर बनाकर और धमनियों को विश्राम देकर इरेक्शन की गुणवत्ता को सुधारने में महत्वपूर्ण हैं। इसकी सहायता से, इरेक्टाइल डिसफंक्शन में गोखरू के प्रयोग से आप प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार पा सकते हैं।

गोखरू का सेवन और सेक्सुअल परफॉर्मेंस

गोखरू के नियमित सेवन से सेक्सुअल परफॉर्मेंस में न केवल सुधार होता है बल्कि इससे यौन इच्छा और स्टेमिना दोनों की वृद्धि में भी मदद मिलती है। जानकर अच्छा लगेगा कि नपुंसकता का नेचुरल उपचार करते समय गोखरू को अक्सर पहली पसंद के रूप में चुना जाता है।

  • रक्त प्रवाह में सुधार लाकर प्रजनन अंग की स्वास्थ्यकर स्थिति बनाए रखता है।
  • यौगिक प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करके संपूर्ण यौन स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करता है।
  • पर्याप्त और लंबे समय तक स्थायी इरेक्शन के लिए जरूरी शरीर क्रियाओं को बढ़ावा देता है।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन में गोखरू के सकारात्मक प्रभावों के कारण, यह जड़ी-बूटी एक विश्वसनीय समाधान के रूप में उभरी है। इससे आपके सेक्सुअल परफॉर्मेंस बढ़ाने में निश्चय ही मदद मिलेगी।

गोखरू: पुरुषों में कामेच्छा बढ़ाने की एकमात्र दवा

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यदि आप कामेच्छा वृद्धि की खोज में हैं, तो गोखरू आपके लिए एक प्राकृतिक और असरदार विकल्प हो सकता है। पुरुषों में कामेच्छा बढ़ाने की दवा के रूप में इसकी प्रतिष्ठा आज कई शोधों में सामने आ चुकी है। गोखरू में मौजूद सक्रिय तत्व (फ्लेवोनोइड्स और अल्कालॉइड्स), आपकी यौन उर्जा को बढ़ाने और कामेच्छा में वृद्धि करने में सक्षम हैं।

  • स्ट्रेस कम करने में सहायक
  • सेक्सुअल एनर्जी को बूस्ट करता है
  • टेस्टोस्टेरोन लेवल्स में निरंतर वृद्धि

अनेक आयुर्वेदिक अध्ययनों के अनुसार, गोखरू के यौन लाभ ना केवल उचित हैं बल्कि दीर्घकालिक परिणाम भी प्रदान करते हैं। इसका सेवन आपके यौन जीवन को सकारात्मक रूप से परिवर्तित कर सकता है।

अतः, गोखरू का नियमित सेवन आपकी कामेच्छा वृद्धि में एक शक्तिशाली योगदान दे सकता है। यह आपके पूरे यौन स्वास्थ्य को सशक्त बनाता है और एक खुशहाल संबंध की ओर ले जाता है।

गोखरू के संभावित नुकसान और सावधानियां

प्राकृतिक हर्ब्स जैसे कि गोखरू, बहुत से स्वास्थ्य लाभ तो प्रदान करते हैं, लेकिन कुछ संभावित नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी है। इन हर्ब्स का सेवन करते समय, सही मात्रा का पालन करना और अपने शरीर की प्रतिक्रियाओं की निगरानी करना महत्वपूर्ण है। अत्यधिक मात्रा में सेवन से पेट की समस्याएं, चक्कर आना, या अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं।

गोखरू सेवन के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

गोखरू लेते समय यह सुनिश्चित करें कि आप एक प्रमाणित आहार विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श ले रहे हैं। यदि आप किसी दवाई का सेवन कर रहे हों या किसी बीमारी से ग्रस्त हों, तो हर्ब का सेवन शुरू करने से पहले उचित सलाह आवश्यक है। गर्भवती महिलाओं या स्तनपान कराने वाली माताओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

गोखरू का संवेदनशील व्यक्तियों पर प्रभाव

कुछ व्यक्तियों में गोखरू के सक्रिय तत्वों के प्रति संवेदनशीलता या एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा रैशेज़, साँस की समस्याएँ या अन्य प्रतिकूल प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं। ऐसे किसी भी लक्षण को देखते ही, गोखरू का सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए और चिकित्सा परामर्श लेना चाहिए।

FAQs

गोखरू का सेवन कैसे और कितनी मात्रा में करना चाहिए?

गोखरू की खुराक व्यक्ति की शारीरिक और स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुसार होती है। आमतौर पर इसे पाउडर, कैप्सूल या चाय के रूप में एक सीमित मात्रा में लिया जाता है, लेकिन इसके लिए एक आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित होता है।

गोखरू और कौंच के बीज का संयोजन कैसे फायदेमंद हो सकता है?

गोखरू और कौंच के बीज अपने यौन स्वास्थ्य लाभों के लिए जाने जाते हैं, खासकर पुरुषों में कामेच्छा और सेक्सुअल स्टैमिना बढ़ाने में। संयोजन इनके फायदेमंद गुणों को मजबूत करता है और सेक्सुअल वेलनेस को बढ़ावा देता है।

टेस्टोस्टेरोन स्तर में सुधार के लिए गोखरू कैसे काम करता है?

गोखरू में प्राकृतिक कामोत्तेजक गुण होते हैं जो शरीर में टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को प्रोत्साहित कर सकते हैं, इस प्रकार पुरुष सेक्स हार्मोन के स्तर में सुधार और यौन स्वास्थ्य में वृद्धि में सहायक होते हैं।

गोखरू खाने का उपयुक्त समय क्या है?

गोखरू कब लेना है, यह आपके लक्ष्यित स्वास्थ्य लाभों पर निर्भर करता है। फिर भी, ज्यादातर मामलों में इसे सुबह या दोपहर के भोजन के साथ लेने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श लेकर सही समय निर्धारण करना बेहतर होता है।

गोखरू का सेवन करते समय कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए?

गोखरू का सेवन करते समय ओवरडोज से बचें, और अगर आपको किसी भी प्रकार की दीर्घकालिक बीमारी है या अन्य दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। दुष्प्रभावों के संकेत मिलने पर इसका सेवन तुरंत बंद करें और मेडिकल मदद लें।

गोखरू का दूसरा नाम क्या है?

गोखरूका दूसरा नाम ”ट्राइबुलस टेरेस्ट्रिस” (Tribulus Terrestris) है। यह वैज्ञानिक नाम है जिससे यह पौधा विश्वभर में जाना जाता है। इसे छोटा गोखरू या गुड़खुल (हिंदी) और गोक्षुर (संस्कृत) भी कहते हैं।

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